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चिराग लेके कहा हवा के सामने चले.

                   
दम का भरोसा नहीं ठहर जाओ,
चिराग लेके कहा हवा के सामने चले.
मोत तुजसे तो ये उम्मीद नहीं,
जिंदगी तुने तो धोखे पे धोखा दिया !
हर स्वप्न है घुल घुल के सुलाने के लिए,
हर याद है रो रो के भुलाने के लिए …….
जाती हुई डोली को आवाजे मत लगा,
इस शहर में आए है सब जानेके लिए.
न पूछो दुनिया में ,मै कितना निराधार था,
जीना दुशवार था,मै कितना लाचार था,
जीने की बात जाने दो मेरे दोस्तों,
मरा तो भी दूसरो के कंधो पे बोज़ था.
न पूछो जिंदगी मेरी कैसी गुजरी,
समजो इस बात पर की कितनी सारी गुजरी,
की मै मरा तो भी ऐसे उठा लिया,
एक शहेंशाह की जैसे सवारी निकली.
मोत उसकी जिसका जमाना करे अफसोस….
वैसे जीते तो है सब मरने के लिए.